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लेखनी ,# कहानीकार प्रतियोगिता # -01-Jul-2023 मेरा बाप मेरा दुश्मन (भाग 31 अंतिम भाग) )

   

                        मेरा बाप  मेरा दुश्मन  (भाग 31 अंतिम भाग)


            अब तक आपने पढ़ा  कि तान्या विशाल लव मैरिज  कर लेते है उनके घर रमला बेटी का जन्म  होता है। तान्या के मम्मी पापा तान्या के भागने से परेशान  होकर  आत्महत्या कर लेते हैं। विशाल  सारिका से दूसरी शादी कर लेता है। सारिका की सहेली सलौनी रमला के खिलाफ  एक साजिस रचती हैं लेकिन वह दोंनो कामयाब  नहीं होती। अंत में सारिका धोके से रमला की शादी उससे उम्र में बहुत  बडे लड़के से शादी करवा देती है। रमला को विवेक बहुत प्रताडि़त  करता है। इसलिए  रमला वहाँ से किसी तरह  भागने में कामयाब  होगई। वह एक ओटो चालक राकेश के साथ   उसके घर पहुँच गई  आगे की कहानी इस भाग  में पढ़िए 


                      रमला ने अपनी सोच राकेश व उसकी माँ को बताई और वह बोली," माँजी मुझे मेरे इस भाई पर पूरा भरोसा है कि मै यहाँ सुरक्षित हूँ। लेकिन आपको आस पास के लोग मेरे बारे मै पूछैगे तब आप  किस किसको समझायेगी। "

रमला की इस तरह की बातै सुनकर राकेश की मा बोली," इसकी चिन्ता तू क्यौ करती है हमें तो अब दूसरौ की बातै सुनने की आदत बन गयी है जबसे बेटी ने आत्महत्या की है तबसे लोग तरह तरह की बातै बनाते है। हम किसी की सुनते ही नही है। "

       "माँजी आपने दुनिया देखी है। और जब किसीतरह उन कुत्तौ को मेरा पता चल गया तब वह यहाँ आकर आपको परेशान करेंगे। दूसरी बात उनके पास मेरी शादी के फोटो है। वह मेरे साथ आपको भी परेशान करैगे। आप  मुझे यहाँ के नारी निकेतन में लेचलो मै वहाँ चलकर उनसे बात कर लेती हूँ। ",रमला उनको समझाने लगी।

     राकेश को रमला की बात समझ में आरही थी।  इसलिए उसने उसे एक नारी निकेतन में लेकर जाने का फैसला कर लिया।

      रमला राकेश के साथ नारी निकेतन पहुँच कर वहाँ की मुख्य इन्चार्ज  शशी  गुप्ता से मिलकर उनको  अपनी पूरी समस्या से अवगत कराया।

    शशी गुप्ता ने उसकी पूरी कहानी सुनकर रमला को समझाया कि अब तुम्है किसी तरह की चिन्ता करने की आवश्यकता नहीं है। मै यहाँ के बकील से कहकर उन सभी के खिलाफ रिपोर्ट भी दर्ज करवा दूँगी।

       अब रमला को एक मजबूत ठिकाना मिल गया जहाँ रहकर वह सुरक्षित भी थी और इस समाज से लड़ भी सकती थी।

     रमला को वहाँ पर एक सहेली भी बन गयी।उसका नाम  सन्जना था। सन्जना के साथ भी बहुत अत्याचार हुए थे लेकिन उसने कभी भी इस  निर्दयी समाज के ठेकेदारौ से हार नही मानी थी।

    जब रमला ने उसे अपनी आपबीती सुनाई तब वह रमला को समझाने लगी कि  इसमे किसी को दोष देने का कोई फायदा नही है।

     रमला सन्जना से बोली,"  सन्जना मेरा  तो बाप ही मेरा दुश्मन होगया कि उसने किसके दबाब में आकर मेरे साथ यह सब किया था। यदि मुझे मेरा बाप मिलजाय तो मै उसका गला भी दबा सकती हूँ।"

                   सन्जना उसे समझाते हुए बोली," तू ठीक कहरही है उनको ऐसा नही करना चाहिए था। इस तरह बिना तहकीकात के बेमेल शादी नहीं करनी चाहिए थी। "

      अब रमला आराम से वहाँ रहने लगी।

       उधर विवेक ने रमला का पता लगाने की पूरी कोशिश की। वह सोचने लगा कि वह पुलिस स्टेशन गयी होगी। इसलिए उसने पास के पुलिस स्टेशन जाकर पता किया लेकिन वहाँ ऐसी कोई रिपोर्ट नही लिखाई गयी थी।

      अब विवेक अपनी ससुराल पहुँचा उस समय वहाँपर केवल सारिका ही थी। उसने सारिका को पूरी घटना बताई तब सारिका  डर गयी कि मालूम नही वह कहाँ चली गयी।

     सारिका विवेक पर क्रोधित होकर बोली," तुम एक लड़की को नहीं  सम्भाल सके मालूम नही अब वह कहाँ होगी और क्या करेगी।  उसको कही से भी ढूढो़ । मैने तम्है एक बार सौपकर अपना बायदा पूरा करदिया अब आगे तुम्हारी डायूटी थी कि उसे प्यार दो अथवा शक्ति का प्रयोग करो।"

     विवेक वहाँसे खाली हाथ लौट गया। सारिका ने यह बात विशाल को नही बताई कि रमला ससुराल से भाग गयी है।

         नारी निकेतन की इन्चार्ज शशी गुप्ता ने रमला की ससुराल की पूरी जानकारी अपने जासूसौ से लेकर उनके खिलाफ कोर्ट में केस डाल दिया और जबरन शादी करने का इल्जाम लगा दिया। इसमें रमला के माता पिता पर भी इल्जाम लगाया गया।

      विवेक ने रमला को खोजने की पूरी कोशिश की परन्तु वह उसका पता लगाने मे कामयाब नही हुए। जब उनके पास कोर्ट का नोटिस पहुँचा तब उनकी आँखौ की नींद ही गायब होगयी।

     विवेक सोचने लगा कि मैने यह शादी करके बहुत बडी़ परेशानी मुफ्त में ही लेली।

   अब विशाल की आँखें भी खुल चुकी थी क्यौकि सारिका द्वारा लिए गये दो लाख रुपये का भेद भी खुल गया था।   आज विशाल को समझ में आरहा था कि वह उस दिन रमला की बात मानकर कुछ कार्यवाही कर लेता तब उसकी बेटी के साथ यह सब नहीं होता।

       अब विशाल रमला से मिलकर उससे माँफी माँगना चांहता था। परन्तु वह सोच रहा था कि वह उससे कैसे मिलने जायेगा।जब वह पूछेगी तो क्या जबाब देगा। क्या वह उससे आँख मिलाकर बात कर सकेगा।

      विशाल को सारिका पर बहुत क्रोध आ रहा था और उसे अपने पर भी क्रोध आरहा था कि उसने सारिका की सब बातौ पर आँखै बन्द करके क्यौ विश्वास कर लिया।

    विशाल रमला से मिलने नारी निकेतन गया था लेकिन रमला ने मिलने से इन्कार कर दिया था।

     इसके बाद विवेक सारिका व विशाल पर केस चला अन्त में जीत रमला की हुई उसे विवेक से तलाक भी मिल गया।

             रमला  जीतकर भी हार गयी थी क्यौकि उसने शादी न करने का फैसला कर लिया था और नारी निकेतन में रहकर कमजोर व समाज द्वारा सताई गयी औरतौ की सेवा करने का संकल्प लेकर उनकी सेवा में लग गयी थी।

      विशाल ने बहुत बार नारी निकेतन में जाकर रमला से मिलने की कोशिश की थी लेकिन वह हरबार उनको यह कहकर वापिस लोटा देती थी कि  यह मेरा बाप नही मेरा दुश्मन है। अगर मेरा बाप  चाहता तो मेरी जिन्दगी का ऐसा हाल नहीं होता मैं भी कहीं आनन्द  के साथ रह रही होती। आज इस नारी निकेतन  में नहीं होती मेरा भी अपना छोटा सा घर होता मै भी माँ बन गई  होती। यह सब मेरे बाप के कारण हुआ  है। इसलिए  मेरा बाप  ही मेरा सबसे बड़  दुश्मन  है। मैं उसे कभी मांफ नहीं कर सकती हूँ।

                       " समाप्त"

नोट:-  आप सभी पाठकगणौ व लेखक साथियौ से नम्र निवेदन है कि आप पूरी कहानी पढ़कर अपनी अमूल्य राय अवश्य देने का कष्ट करे।
                                      धन्यवाद सहित
                                          आपका

                                  नरेश शर्मा " पचौरी "
                                     

कहानीकार  प्रतियोगिता  हेतु रचना 

 

 




        



     


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1 Comments

Gunjan Kamal

06-Aug-2023 06:16 AM

शानदार कहानी 👏👌🙏🏻

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